तर्ज - हंसता हुआ नूरानी चेहरा...
रूप है जिनका हनुमत जैसा,
देव न कलयुग में कोई ऐसा,
जिनके रूप में बैठी बाईसा,
बाबोसा... बाबोसा.....,
प्यारा सा बाबोसा का मुखड़ा ,
ऐसे लागे ज्यो चांद का टुकड़ा,
भक्तो के मन भाये बाबोसा,
बाबोसा... बाबोसा.....
सूरज सा तेज मुख पे बरस रहा नूर है,
चुरू वाले बाबोसा जग में मशहुर है,
कोई माने या ना माने,
हम तो बस है इनके दीवाने,
सब कुछ मिला और मांगू क्या,
रूप है जिनका.....
बाबोसा मतवाले, इनका दीदार कर,
दिल मे बसाले, बाबोसा का ध्यान धर,
तन में मन मे इस जीवन मे,
दिलबर तू ही धरती गगन में,
विभु को भक्ति से सब मिला
रूप है जिनका.....