हुए है सुदामा अधिकारी गए हैं कान्हा के द्वारी.....
जा बैठे श्रीकृष्ण के द्वारे,
राधा नयन भर निहारी गए हैं कान्हा की अटारी,
हुए है सुदामा अधिकारी गए हैं कान्हा के द्वारी.....
पानी परात हाथ नहीं लिनो,
अंसुवन पग धो डारी गए हैं कान्हा की अटारी,
हुए है सुदामा अधिकारी गए हैं कान्हा के द्वारी.....
चावल की पोटली बगल दवाई,
गठरी है बड़ी भारी गए हैं कान्हा की अटारी,
हुए है सुदामा अधिकारी गए हैं कान्हा के द्वारी.....
दो मुट्ठी चावल कान्हा ने चबाये,
दोनों लोक दे डारी गए हैं कान्हा की अटारी,
हुए है सुदामा अधिकारी गए हैं कान्हा के द्वारी.....
रुकमणी जी भोजन ले आई,
पंखा झाले बिहारी गए हैं कान्हा के अटारी,
हुए है सुदामा अधिकारी गए हैं कान्हा के द्वारी.....
रुकमणी जी ने सेज बिछाई,
चरण दवा में बिहारी गए हैं कान्हा की अटारी,
हुए है सुदामा अधिकारी गए हैं कान्हा के द्वारी.....
जाओ सुदामा घर अपने को,
बन गए महल अटारी गए हैं कान्हा की अटारी,
हुए है सुदामा अधिकारी गए हैं कान्हा के द्वारी.....