ॐ जय श्री श्याम बलि,
मेरे जय श्री श्याम बलि,
हारे का हो साथी श्याम रूप धरी,
मेरे जय श्री श्याम बलि....
पांडव कुल अवतारी भीम पौत्र बलि,
अहिलवती के लाला बर्बरीक नाम धरी,
मेरे जय श्री श्याम बलि.....
तीन बाण कटी धनुष बिराजे,
महिमा जग जानी, तेरी महिमा जग जानी,
देखे तेज तिहारो भय अचंभित हरी,
मेरे जय श्री श्याम बलि....
एक बाण से पाते बींदे,
तरुवर पीपल धणी,
देखी शक्ति तेरी चिंतित भये हरी,
मेरे जय श्री श्याम बलि.....
अपनी और लड़ने का प्रस्ताव धरे हैं हरी,
हारेगा उस और लडूंगा माँ से प्रण है करि,
मेरे जय श्री श्याम बलि.....
सुनके वचन प्रभु आपके मुख से,
अकुलाये हैं हरी,
गणित बिगड़ते देखा मोहन ने चाल चली,
मेरे जय श्री श्याम बलि.....
याचक बन कर आपसे कृष्ण ने,
शीश की मांग करी, प्रभु शीश की मांग करी,
वचन बढ़ होकर के शीश का दान करी,
मेरे जय श्री श्याम बलि.....
हश होकर श्री कृष्ण ने दिया वरदान बलि,
कलयुग में श्याम कहाओ बसों खाटू नगरी,
मेरे जय श्री श्याम बलि.....
मकराने को मंदिर थारो भीड़ लागे भारी,
पांच टेम थारी आरती होवे जयकारो भारी,
मेरे जय श्री श्याम बलि.....
चंदा देव निराला देखी शान तेरी,
भगवन कहता संजू मानो एक बारी,
मेरे जय श्री श्याम बलि,
ॐ जय श्री श्याम बलि.....