कोई शोंक न था खेलने का हम को खतरों से,
पर क्या करे दिल खो गया,उन टेढ़ी नजरो में,
उन जादू गरी नजरो से जब मेरे मिल गये नेयंन,
मेरे दिन बदल गये मेरे दिन सवर गये,
सारी दुनिया से हार के पहुंचा जो मैं वृन्दावन,
मेरे दिन बदल गये मेरे दिन सवर गये....
निर्मोही था निरलज भी था कपटी भी था ये मन,
खुल के बता सकू तुम्हे ऐसे न थे कर्म,
करुणा के उस भंडार ने मुझपे जो किया रहम,
मेरे दिन बदल गये मेरे दिन सवर गये.....