सहज धज के बैठे बाबा जादू चला रहे हो,
दिल को चुरा रहे हो,
सहज धज के बैठे बाबा जादू चला रहे हो,
सर पे मुकट तुम्हारे श्रिस्ति के राजा जैसा ,
कलयुग में दीनों का यो है नाये करने बैठा,
तुम फैंसले सभी को सच्चे सुना रहे हो,
सहज धज के बैठे बाबा जादू चला रहे हो,
करुणा भरी ये आँखे करुणा लुटा रही है ,
लेकर जो आंसू आये धीरज बंधा रही है,
कर आंख के इशारे बिगड़ी बना रहे हो,
सहज धज के बैठे बाबा जादू चला रहे हो,
ये प्यारा प्यारा भागा तन पे जो सझ रहा है,
कितने गरीबो की वो प्रभु लाज ढक रहा है,
तन में सजे ये गहने यही लुटा रहे हो,
सहज धज के बैठे बाबा जादू चला रहे हो,
भहव तुम्हारा सबकी शंका मिटा रहा है,
तेरे प्रेमियों का जलवा जग को दिखा रहा है ,
रोमी का घर भी अब तक तुम्ही चला रहे हो,
सहज धज के बैठे बाबा जादू चला रहे हो,