तुमने ही तो रचा है

तीनों लोकों में भोले,
तुम्हारी है सत्ता,
तुम्हारी मर्जी के बिना,
हिलता नहीं है पत्ता,
तुमने ही तो रचा है.....

चराचर जगत यह सारा,
सृष्टि समूल के,
हो तुम्हीं तो अधारा,
विनाश करने को,
पापियों का,
तुमने त्रिशूल धारा,
तुमने ही तो रचा है.....

गले भुजंग विराजे,
शशि शीश साजे,
त्रिपुण्डी तिलक तुमने,
भाल पे है धारा,
तुमने ही तो रचा है.....

तुम हो कैलाश वासी,
अजर अमर अविनाशी,
गूंजें चहूं ओर विश्व में,
हर हर शिव ओंकारा,
तुमने ही तो रचा है.....

श्रद्धा से जो शंकर,
कहे शरण में आ तुम्हारी,
महादेव भोले नाथ,
शिव शम्भू त्रिपुरारी,
भव सिंधु से उसको तारा,
जिसने लिया नाम तुम्हारा,
राजीव ने लिया नाम तुम्हारा,
तुमने ही तो रचा है......
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