ओ भोले ले चल काशी धाम,
जहाँ विराजे गौरा रानी गणपति सरकार……
शीश भोले के जटा विराजे,
जटा विराजे जटा विराजे,
उनकी जटा से बहती रहती,
गंगा की ये धार,
ओ भोले ले चल काशी धाम……
गले भोले के रुणडो की माला,
रुणडो की माला रुणडो की माला,
उनके गले में लिपटा रहता,
विषधर काला नाग,
ओ भोले ले चल काशी धाम……
हाथ भोले के त्रिशूल विराजे,
त्रिशूल विराजे त्रिशूल विराजे,
उनके हाथ में बजता रहता,
डमरू चारो धाम,
ओ भोले ले चल काशी धाम……
पाँव भोले के खडाऊं विराजे,
खडाऊं विराजे खडाऊं विराजे,
उनके पैरो में बजती रहती,
घुंघरू की झंकार,
ओ भोले ले चल काशी धाम……