इन दो आंखो से श्याम, तुझको कितना देखू,
मन भरता नहीं मेरे श्याम, तुझे जितना देखू....
देखू तो बस देखे जाऊं, पलक ना फिर जपकाऊ,
ना जाने क्या जादू है ये, कुछ भी समझ ना पाऊं,
जी करता तेरी छवि के अलावा, कुछ ना देखू.....
क्या चंदा क्या फूल ये उपवन, फीके सभी नज़ारे,
तेरे रूप की चमक के आगे, लाजे जग मग तारे,
कोई नहीं नजारा तुजसा तो फिर, क्यूं ना देखू....
देख देख के तुझको हरदम, तेरे रंग में रंगाया,
जब भी मुसीबतों ने गेरा, तुझको हाजिर पाया,
अरविंद कहे तू हो जाए मेरा, इतना देखू....