सभी से हार कर बाबा तेरे दरबार आया हु,
बड़ी उम्मीद लेकर के मैं लखदातार आया हु,
करू किस पर भरोसा मैं यहाँ सब लोग झूठे है,
सभी के चेहरे पर बाबा नकली मुखोटे है,
परख कर वैरी और अपने रिश्तेदार आया हु ,
सभी से हार कर बाबा तेरे दरबार आया हु,
कहा जाऊ किधर जाऊ ना मंजिल है नाही रास्ता,
सिवा तेरे मुझे बाबा कोई अपना नहीं दीखता,
तुम्हरा नाम सुन कर मैं याहा सरकार आया हु,
सभी से हार कर बाबा तेरे दरबार आया हु,
जमाने से जो हारा तू उसी के साथ रहता है,
सहारा आप का मुझको ज़माना सारा कहता है,
पकड़ लो हाथ शर्मा का ये पहली बार आया हु,
सभी से हार कर बाबा तेरे दरबार आया हु,