दरस दो गिरधारी बनवारी
श्याम मेरी बीती उमरिया सारी
अब बहुत हुयी हेरि फेरी
अलके बिखराके आजाओ
अब बहुत हुयी मम मान सखी
मुस्कान लुटाते आजाओ
अब बहुत हुयी रसिया प्रीतम
लोगो को हसाते आजाओ
अब बहुत हुयी चीत्चोर सजन
बंसी को बजाते आजाओ
अब बहुत हुयी अब दीन बन्दू
बिगड़ी को बनाने आजाओ
अब बहुत हुयी करुणा सिन्धु
करुणा बरसाने आजाओ
अब बहुत हुयी हे परान नाथ
मेरे परान बचाने आजाओ
दरस दो गिरधारी बनवारी
श्याम मेरी बीती उमरिया सारी