ऐसो दातार कठे देख्यो ना सुण्यो जी,
शरण पड्या को बाबा काम बनावे जी,
आने जो ध्यावे वो तो मौज उड़ावे जी,
ऐसो दातार कठे देख्यो ना सुण्यो जी.....
निज भगतां पर भीड़ पड़े तो,
झट से उबारे म्हारो श्याम धणी,
दर आये की आस पुरावे,
दर पे जो लेके आवे आस घणी,
ऐसो दातार कठे देख्यो ना सुण्यो जी.....
आधणिया ने आंख्या देवे,
पांगलिया ने देवे टांगड़ली,
निरधनियाँ ने दौलत देवे,
बेटो पावे थे बांझणली,
ऐसो दातार कठे देख्यो ना सुण्यो जी.....
बिन बोल्यां ही निज भगतां की,
पीर पिछाणै म्हारो सांवरियो,
हर्ष सुमिर ले कानहुडे ने,
घर भर देसी तेरी नटवरियो,
ऐसो दातार कठे देख्यो ना सुण्यो जी......