जो मैं तेरे द्वार ना आऊँ और कहां मैं जाऊं,
जो जो मन में आस है मईया सब कुछ यहीं से पाऊं,
मात मेरी मुझे दो सहारा मात मेरी मुझे दो सहारा,
मैनें थामा है दामन तुम्हारा मैने थामा है दामन तुम्हारा,
मात मेरी मुझे दो सहारा.....
तेरे दरबार में जो भी आता है माँ बेसहारा नहीं कोई रहता है माँ,
तेरा दर ही है सब का सहारा मैनें थामा है दामन तुम्हारा,
मात मेरी मुझे दो सहारा मैनें थामा है दामन तुम्हारा,
मैनें थामा है दामन तुम्हारा मात मेरी मुझे दो सहारा.....
कोई छोटा बड़ा तेरे दर पर नहीं सार जीवन का मिलता है सबको यहीं,
नाम तेरा है सुख का आधारा मैनें थामा है दामन तुम्हारा,
मात मेरी मुझे दो सहारा मैनें थामा है दामन तुम्हारा,
मैनें थामा है दामन तुम्हारा मात मेरी मुझे दो सहारा.....
ना पुकारूँ तुम्हें फिर पुकारूँ किसे अपने मन की व्यथा मैं सुनाऊँ किसे,
सब की नैया को तुमने है तारा मैनें थामा है दामन तुम्हारा,
मात मेरी मुझे दो सहारा मैनें थामा है दामन तुम्हारा,
मैनें थामा है दामन तुम्हारा मात मेरी मुझे दो सहारा.....
मात मेरी मुझे दो सहारा मात मेरी मुझे दो सहारा,
मैनें थामा है दामन तुम्हारा मैने थामा है दामन तुम्हारा....
।।जय माता दी।।