कान्हा मेरे हाथों से निकल गयो रे,
मैं पकड़न लागी फिसल गयो रे॥
मथुरा में देखा मैंने गोकुल में देखा,
वृंदावन में जाके छुप गयो रे,
मैं पकड़न लागी फिसल गया रे,
कान्हा मेरे हाथों से निकल गयो रे,
मैं पकड़न लागी फिसल गयो रे॥
गंगा में देखा मैंने सरयू में देखा,
जमुना में जाके छुप गयो रे,
मैं पकड़न लागी फिसल गयो रे,
कान्हा मेरे हाथों से निकल गयो रे,
मैं पकड़न लागी फिसल गयो रे॥
पनघट पे देखा मैंने मधुबन में देखा,
निधिवन में जाके छुप गयो रे,
मैं पकड़न लगी फिसल गयो रे,
कान्हा मेरे हाथों से निकल गयो रे,
मैं पकड़न लागी फिसल गयो रे॥
फूलों में देखा मैंने कलियों में देखा,
खुशबू में जाके छिप गयो रे,
मैं पकड़न लागी फिसल गयो रे,
कान्हा मेरे हाथों से निकल गयो रे,
मैं पकड़न लागी फिसल गयो रे॥
ललिता से पूछा विशाखा से पूछा,
राधा जी के दिल में बस गयो रे,
मैं पकड़न लागी फिसल गयो रे,
कान्हा मेरे हाथों से निकल गयो रे,
मैं पकड़न लागी फिसल गयो रे॥