बनवा दो एक झोपड़ी मेरी खाटू धाम

दर्शन किया करूंगा,
तेरे सुबह-शाम,
बनवा दो एक झोपड़ी,
मेरी खाटू धाम,
ओ मेरे बाबा लखदातार,
है विनती बारंबार……

मैं मेरी करते-करते,
सब जीवन गुजर गया,
पापों के पथ पर चलकर,
मेरा सब कुछ बिखर गया,
अब भक्ति करना चाहूं,
तेरी आठों याम,
बनवादो एक झोपड़ी,
मेरी खाटू धाम,
मेरे बाबा लखदातार,
है विनती बारंबार…...

ना धन दौलत की इच्छा,
ना शोहरत चाहिए,
मुझे मन के मन मंदिर में,
तेरी सूरत चाहिए,
चरणों में उम्र बिताऊं,
होके मैं निष्काम,
बनवादो एक झोपड़ी,
मेरी खाटू धाम,
मेरे बाबा लखदातार,
है विनती बारंबार….

पूरी कर दो अभिलाषा,
दिल ए बेकरार की,
थोड़ी सी कीमत समझो,
असुवन की धार की,
सच कहता राज अनाड़ी,
हूं दर का तेरे गुलाम,
बनवादो एक झोपड़ी,
मेरी खाटू धाम…..
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