श्याम पे भरोसा है

श्याम पे भरोसा है,
फिर काहे घबराते हो,
सांवरे के रहते तुम,
काहे घबराते हो,
तुम्हें छोड़ के जो गया ही नहीं,
उसे काहे बुलाते हो,
श्याम पे भरोसा है,
फिर काहे घबराते हो,
सांवरे के रहते तुम,
काहे घबराते हो......

सूखते नहीं है प्रभु,
ये हाथों के छाले मेरे,
नाव खैने से फुर्सत नहीं,
कब मरहम लगाते हो,
सांवरे के रहते तुम,
काहे घबराते हो......

तुम्हें छोड़ कर के भक्तों को,
कभी जाते नहीं देखा,
फिर भी कहते हैं भक्त तेरे,
तुम देरी से आते हो,
सांवरे के रहते तुम,
काहे घबराते हो......

जो कुछ भी पास तेरे,
तुने मेहनत से कमाया है,
अपनी सारी कमाई प्रभु,
तुम भक्तों पे लुटाते हो,
सांवरे के रहते तुम,
काहे घबराते हो……

काम भक्तों का इतना प्रभु,
तुम्हें बनवारी फुर्सत नहीं,
इसलिये काम खुद का,
तुम भक्तों से कराते हो,
सांवरे के रहते तुम,
काहे घबराते हो…….
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