ये तीर नजर है या कातिल निगाहे,
बनता है जिसके भी दिल को निशाना,
उसे याद रहता नही ये जमाना,
तुम्हारी तदप का दर्द यो सहा है,
उसी ने दीवानों को हस कर कहा है,
बनता है जिसके भी दिल में ठिकाना,
उसे याद रहता नही ये जमाना
ज़रा पूछो उन्हों से जो है भुक्त भोगी,
कोई हुआ पागल कोई हुआ जोगी,
सुनता है मुरली से जिसको तराना,
उसे याद रहता नही ये जमाना,
आज का नही है खेल है पुराना,
दीवानों के दिल पे ये जादू चलना,
दिखता है जिसको भी दर्शन सुहाना,
उसे याद रहता नही ये जमाना,
छन छना रही है प्रेम पत पे पायल,
बेधड़क लोगो को किया इसने घ्याल,
इसे और इसके खेलो को जाना,
उसे याद रहता नही ये जमाना,