सतगुरु ने चादर धोई रे, सतगुरु ने चादर धोई रे,
जेको भेद नी जान्यो कोई रे, सतगुरु ने चादर धोई रे.....
बिना सोडो और बिना साबुन से,
जेने बिना नीर से धोई रे, सतगुरु ने चादर.....
ढाई बरष की झोट कुंवारी,
जेने बिना ब्याही खे दुही रे, सतगुरु ने चादर.....
बिना दीपक और बिना दिवला से,
जेने जोत में जोत जलाई रे, सतगुरु ने चादर.....
कहे जन दल्लू सुनो रे भाई साधु,
गुरु ने धरम धजा लहराई रे, सतगुरु ने चादर......