जय हो
भर लो झोलिया,
माँ भंडारे बैठी खोल के,
भर लो झोलिया,
सारे जय माता की बोल के,
भर लो झोलिया,
दाती हो गई दयाल है,
भर लो झोलिया,
माँ को सबका ख्याल है,
भर लो झोलिया.....
मोती सुखो के माँ बाटती,
भर लो झोलिया,
हिरे कंकड़ो से छाटती,
भर लो झोलिया,
मां औलाद भी है देती,
भर लो झोलिया,
वो जाये ताद भी ये देती,
भर लो झोलिया.....
सच्चे दरबार आके,
भर लो झोलिया,
शीश चरनो पे झुकाके,
भर लो झोलिया,
वो बिनती भावना से करके,
वो गंगा नाम वाली तरके,
भर लो झोलिया......
ओ ओ...
यहा जिसने अलग जगाई,
उसे हरि की नेहमत पाई,
मैया उसकी बनी सहायी,
माँ अंगदन देने,
जय हो..
माँ अंगदन देने वाली है,
माँ भक्तों की रखवाली है,
भर लो झोलिया,
सारे भर लो झोलिया.....
ओ ओ...
दो जन आ कर इसके द्वारे,
सच्चे मन से इसे पुकारे,
उसके होते वारे न्यारे,
कहते हैं अम्बर जय हो,
कहते हैं अम्बर और जमीन,
मेरी मां के जैसा कोई नहीं,
भर लो झोलिया,
सारे भर लो झोलिया....
ओ ओ...
ये सोये भाग्य जगा देती,
काँटों को हंस बना देती,
भंवरो में नाव तैरा देती,
कुल सृष्टि की ये जय हो,
कुल सृष्टि की ये पालक है,
तीन लोक की मालक है,
भर लो झोलिया,
सारे भर लो झोलिया.....
जय हो..
भर लो झोलिया,
माँ भंडारे बैठी खोल के,
भर लो झोलिया,
ओ सारे जय माँ माता की बोल के,
भर लो झोलिया,
ओ दाती हो गई दयाल है,
भर लो झोलिया,
ओ माँ को सबका खयाल है,
भर लो झोलिया,
ओ भर लो झोलिया,
माँ भंडारे बैठी खोल के,
भर लो झोलिया कर.....