खाटू की खुशबू श्याम भगतों से आती है

खाटू की खुशबू श्याम भगतों से आती है,
खुशबू आती है श्याम की याद दिलाती है……..

जबसे खाटू से लौटा हूँ,मन ये कहीं लगता ही नहीं,
मुखड़ा खाटूवाले का,नैनों से मेरे हटता ही नहीं,
साँवरिये की याद मुझे हर वक्त सताती है,
खुशबू आती है खाटू की याद दिलाती है………..

चार प्रेमी जुट जाते हैं तो कीर्तन हो जाता है,
ज़िक्र बाबा का होते ही भाव भजन हो जाता है,
प्रेमियों की संगत किस्मत से मिल पाती है,
खुशबू आती है खाटू की याद दिलाती है……..

जब भी मन चिंतित होता है छाती है जब ग़म की धूप,
बाबा दौड़ा आ जाता है ले के किसी प्रेमी का रूप,
प्रेमियों में छवि साँवरे की दिख जाती है,
खुशबू आती है श्याम की याद दिलाती है…….

खाटू की खुशबू से मेरा तन मन जीवन महक उठा,
मेरी अंतर आत्मा से भाव का पंछी चहक उठा,
खुशबू खाटू की मन को "मोहित" कर जाती है,
खुशबू आती है श्याम की याद दिलाती है….
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