हम साँवरे के नौकर मालिक हमारा श्याम है,
हम हैं पुजारी श्याम के सेवा हमारा काम है.......
ज़्यादा ज़रूरतों से देता ही जा रहा है,
इज्ज़त की हमको रोटी बाबा खिला रहा है,
हम क्यूँ फ़िकर करें जब करता वो इंतज़ाम है......
हम सारे श्याम प्रेमी परिवार की तरह हैं,
बाबा ने जो पिरोया उस हार की तरह हैं,
दरबार है ठिकाना घर अपना खाटूधाम है.......
दरबार खाटूवाले का हमसे कभी न छूटे,
संसार चाहे छूटे या साँसों का तार टूटे,
चरणों में बैठ के ही मिलता हमें आराम है.......
कितने महान हैं वो किर्पा है जिनपे श्याम की,
चरणों में जिनके है लगी मट्टी ये खाटूधाम की,
बाबा के प्रेमियों को दिल से मेरा प्रणाम है.......
ख़िदमत ग़रीब की करो सेवा है ये ही श्याम की,
होता नहीं वो "मोहित" है जपने से माला नाम की,
नाथों का नाथ साँवरा बस भाव का ग़ुलाम है........