चाँद सी हे छवि मेरे दादार की,
दुनिया है दीवानी लखदातार की.....
चैन मिलता नही दौड़कर आ गए,
एक नजर देखकर मन मेरे भा गए,
नैन से नैन मिलते ही हर्ष गए,
तेरी कृपा के बादल सदा छा गए,
मेरे नैनों को प्यास दीदार की,
दुनिया है दीवानी लखदातार की….
तेरे दरबार की एक अलग शान है,
जिसको तू मिल गया वो ही घनवान है,
तुमसे ही मिल रहा मुझको सम्मान है,
खाटू वाले से मेरी ये पहचान है,
तुमने ही लगाई छड़ी उपकार की,
दुनिया है दीवानी लखदातार की.....
जिसपे होती कृपा वो ही पहचानता,
जो तुझे मानता वो नही हारता,
हारे के तुम सहारे ये जग जानता,
नाम का तेरे डंका सदा बाजता,
मुझको तो हे तृष्णा तेरे प्यार की,
दुनिया है दीवानी लखदातार की……..