खाटू नगर के बीच में दरबार श्याम का ,
गूंजे सभी दिशायो में जयकार श्याम का,
महिमा ये बर्बरीक की वेदों ने बखानी
एहला वती का लाल बना शीश का दानी
कृष्ण भी हो गया था कर्ज दार श्याम का
गूंजे सभी दिशायो में जयकार श्याम का,
कोई भी आया दरबार पे खली नही गया
जिसने फेलाया दामन पल भर में भर गया
सदियों से लुट रहा याहा भण्डार श्याम का
गूंजे सभी दिशायो में जयकार श्याम का,
कलयुग के देवता है ये घर घर यही चर्चा
पल भर में सभी भगतो को मिलता यहाँ परचा
दीवाना हो गया है ये संसार श्याम का
गूंजे सभी दिशायो में जयकार श्याम का,
दीनो के दीन बंधू है हारे के सहारे
भगतो की डूबी नैया लगा देते किनारे
नसीब पड़ा अपार देखो प्यार श्याम का
गूंजे सभी दिशायो में जयकार श्याम का,