के भोले इस सावन भी तेरे दरस न होंगे,
मेरे आँखो के ये आँसू और कितने बहेंगे…..
बेल की पत्तियों से हार भी बनाऊंगा,
तेरे चरनो पे वो दिल से चढ़ाऊंगा,
लेके गंगा जल तेरे माथे पे चढ़ाऊंगा,
सोचा था ये मान में अब मन में रह जायेगा,
के भोले खोल दे कपाट तेरे दर्शन दे दे,
मेरे आँखो के ये आँसू और कितने बहेंगे……
शीश की वो गंगा माथे की वो चंदा,
देखने को तरसे मन मेरा कबसे,
गौरी मैया तेरे संग कैसी लगती हैं,
एक बार देखो भोले मन मेरा बोले,
के भोले करदे कृपा तेरे दर्शन देदे,
मेरे आँखो के ये आँसू और कितने बहेंगे……