तुम ही मेरे कृष्णा,तुम्ही मेरे कान्हा,
लागी तुझसे प्रीत सुनले मेरे नंदलाला,
हर एक रूप में ध्याऊँ में तुमको,
श्याम भी तुम हो और तुम ही गोपाला…..
हूँ बेचैन स्वामी, क्यूँ हो दूर हम से,
हर पल तुम्हे निहारूँ, अपने नयन से,
मुझे तुमने देखा, जब भी मेरे कान्हा,
बुझा के हर एक तृष्णा, धन्य कर डाला…..
ग़र तुम जो साथ मेरे, हर पल ही जीत हो,
बंधू – सखा हो सब के, राधाजी की प्रीत हो,
गुलशन के फूल हो, जीवन के बाग़बान,
संग में सदा ही रहना, मुरलीधर माधवा…