भज राधे गोविंदा रे पगले भज राधे गोविंदा रे
तन परिंदे को छोड़ कही उड़ जाये न प्राण परिंदा रे,
भज राधे गोविंदा रे पगले भज राधे गोविंदा रे
झूठी सारी दुनिया दारी झूठा तेरा मेरा रे
आज रुके कल चल देगा ये जोगीवाला फ्हेरा रे,
भेद भाव को छोड़ दे पगले मत कर तू परनिंदा रे
भज राधे गोविंदा रे पगले भज राधे गोविंदा रे
इस जीवन में सुख की कलियाँ और सभी दुःख के कांटें,
सुख में हर कोई हिस्सा मांगे कोई भी न दुःख बांटे,
सब साथी हैं झूठे जगत के सच्चा एक गोविंदा रे,
भज राधे गोविंदा रे पगले भज राधे गोविंदा रे
इस चादार को बड़े जतन से ओढ़े दास कबीरा रे,
इसे पहन विषपन कर गई प्रेम दीवानी मीरा रे,
इस चादर को पाप करम से मत कर तू अब गन्दा रे.
भज राधे गोविंदा रे पगले भज राधे गोविंदा रे
Aashish Kaushik
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