माँ जब देने पे आये लेने वाला थक जाये,
इतना भी मत देना माँ अभिमान मुझे हो जाये,
चरणों की भक्ति दे दो धन दौलत का क्या करना,
तेरी शरण मे जीना मुझको चरणों मे ही मरना,
जब घङी अाखरी आये मन मे तेरी छवी समाये,
इतना भी मत देना माँ अभिमान मुझे हो जाये,
माँ जब देने पे आये लेने वाला थक जाये,
इतना भी मत देना माँ अभिमान मुझे हो जाये...
दर्शन की लगन लगी है कुछ ओर ना इच्छा मेरी,
तेरे हाथो मे सौंपी है जीवन की डोर ये मेरी,
कोई भूल अगर हो जाये मुझे माफ तू कर देना माँये,
माँ इतना भी मत देना माँ अभिमान मुझे हो जाये,
माँ जब देने पे आये लेने वाला थक जाये,
इतना भी मत देना माँ अभिमान मुझे हो जाये...
ये दास तेरे चरणों में माँ शीश झुकाने आया है,
कुछ पास नही है मेरे बस श्रद्धा भक्ति लाया है,
तू जिसको पास बुलाये वो कैसे भला रह पाये,
इतना भी मत देना माँ अभिमान मुझे हो जाये,