विराजो मेरे श्याम, मेरे मन के अंदर में,
डूबने का जी करता तेरे ,नैनो के समंदर में,
विराजो मेरे श्याम, मेरे मन के अंदर में…..
कान्हा मेरे कान तरसते हैं, तेरी आवाज को,
तुझसे प्रीत लगी कैसे, छुपाऊं जग से राज को,
पसंने ना देना मोहे, माया के बवंडर में,
विराजो मेरे श्याम, मेरे मन के अंदर में…..
नटखट ओ मुरली वाले, हम तेरे दीवाने हैं,
तू बिछड़े तो जल जाएंगे, ऐसे हम परवाने हैं,
तू ना हो तो क्या देखूं मैं, इस दुनिया के मंजर में,
विराजो मेरे श्याम, मेरे मन के अंदर में.....