डाली डाली चिड़िया चहक रही,
जागो मेरे श्याम अब भोर भई…….
गूंज उठा है वन कुहुक कुहुक से,
वन उपवन की महक महक ले,
छूने तेरे पाँव ठंडी पवन चली,
जागो मेरे श्याम अब भोर भई…….
मंदिर मंदिर घंटे बाजे,
ढोलक शंख नगाड़ा बाजे,
होने लगी आरती गली गली,
जागो मेरे श्याम अब भोर भई……..
तुझसे ही कान्हा तेज़ है पाकर ,
हौले हौले बढ़ने लगा दिवाकर,
भुवन पे भोर की किरण पड़ी,
जागो मेरे श्याम अब भोर भई……
दुखियों के प्रभु दुख हैं हरने,
दीनो की प्रभु झोलियाँ भरने,
छोड शयन अब त्यागो निंदरी,
जागो मेरे श्याम अब भोर भई………
डाली डाली चिड़िया चहक रही,
जागो मेरे श्याम अब भोर भई……..