सौप कर सँवारे को जीवन की डोर क्यों गबराहु मैं,
तारे दिल का बांध के मैंने सँवारे से दिल का,
बिगड़ी किस्मत बन गई मेरी बदली हाथ की रेखा,
खुशियों का समंदर बेहता है,
आनंद आनंद ही रहता है,
मेरा व्यपार सुखी परिवार क्यों गबराहू मैं,
सौप कर सँवारे को जीवन की डोर क्यों गबरहु मैं,
कलयुग का ये देव निराला मेरा खाटू वाला,
श्याम धनि सरकार हमारा हो बड़ा दिल वाला,
हाथ सिर पे दया का इसने रखा जीने का मजा सच मैंने चखा,
नीले अश्वार जग पालनहार क्यों गबराहु मैं,
सौप कर सँवारे को जीवन की डोर क्यों गबरहु मैं,
चल के खाटू देख ले कुंदन श्याम की महिमा प्यारी,
मोरछड़ी से कर देगा बाबा दूर तेरी लाचारी,
येही बात निराली है इसकी ये दुनिया दीवानी है उसकी,
जो भी ए द्वार बांटे अपना प्यार क्यों गबराहु मैं,
सौप कर सँवारे को जीवन की डोर क्यों गबरहु मैं,