मुझ पर भी किर्पा कर कीर्तन करा पाऊँ,
घर में अपने बाबा तेरी ज्योत जला पाऊँ………
बेला गुलाब गेंदा और कमल मँगाऊँ मैं,
चम्पा से चमेली से दरबार सजाऊँ मैं,
लंदन के फूलों से शृंगार करा पाऊँ,
घर में अपने बाबा तेरी ज्योत जगा पाऊँ….
पंछी के पेठों का तुझे स्वाद चखाऊँ मैं,
मथुरा के पेड़ों का परसाद चढ़ाऊँ मैं,
रसगुल्ले कलकत्ता के भोग लगा पाऊँ,
घर में अपने बाबा तेरी ज्योत जगा पाऊँ…………
कन्नौज से इत्तर की शीशी मँगवाऊँ मैं,
उस इत्तर से बाबा तुझको नहलाऊँ मैं,
मैं अपने हाथों से दरबार सजा पाऊँ,
घर में अपने बाबा तेरी ज्योत जगा पाऊँ………
जिन भजन गायकों को घर पे बुलवाऊँ मैं,
उन्हें जय श्री श्याम लिखा पटका पहनाऊँ मैं,
मैं श्याम प्रेमियों को आदर से बिठा पाऊँ,
घर में अपने बाबा तेरी ज्योत जगा पाऊँ……
बाबा तेरी सेवा का मिले मुझे अवसर,
तू “मोहित” हो मुझपर, तेरे दर पे झुके ये सर,
बस इतनी तमन्ना है, चरणों में जगह पाऊँ,
घर में अपने बाबा तेरी ज्योत जगा पाऊँ.....