खाटू वाले श्याम बिहारी कलयुग के हो तुम अवतारी
जो भी आया शरण तुम्हारी रे सांवरा सांवरा
बाबा तेरी खाटू नगरी विशाल है
भगतो की भीड़ याहा लगती अपार है
बाबा तेरी मर्जी के आगे पता न हिलता याहा
खाटू वाले श्याम बिहारी कलयुग के हो तुम अवतारी
दींन दुखियो से करता तू प्यार है,
सेठो का सेठ ये श्याम सरकार है
जो भी आया दर पे तुम्हारे भरता तू झोली सदा
खाटू वाले श्याम बिहारी कलयुग के हो तुम अवतारी
फागुन के मेले में हम को बुला ले
सचिन को बाबा तू अपना बना ले
शीश का दानी दर्श दिखा दे मुझको भी ओ संवारा
खाटू वाले श्याम बिहारी कलयुग के हो तुम अवतारी