मेरी मैया बड़ी दयाल दोनों हाथो मेहर लुटावे,
लेके आस शरण जो आये मैया खली ना लौटावे.....
निर्बल को बलवान बनती मैया शेरावाली,
रंको को ये शाह बनती ना रहती कंगाली,
जाने कितनो का है माँ ने सोया भाग जगाया,
खाली गोदी में माँ ने खुशियों का फूल खिलाया,
जैसी भावना से जो आवे वैसा ही फल पावे……….
कमी नहीं कोई माँ के दर पे चाहे सो पा लो,
शीश झुका चरणों में माँ से सच्ची प्रीत लगा लो,
कभी देर ना करती मैया भगतो की है सुनती,
सबके कष्ट मिटाके मैया दुख के कांटे चुनती,
जो भी आये शरण में माँ के उसके बिगड़े काम बनावे…….
भूखी है बस भाव की मैया और नहीं कुछ चाहे,
देख देख अपने बच्चो को फूली नहीं समाये,
तीन लोक में माँ के जैसा और ना कोई दाता,
देव असुर नर नार सभी की माँ ही भाग्य विधाता,
सबका बेडा पार लगावे अर्जी दर पे जो भी लावे………