प्यारो लागे रूप मां थारो
जावां म्हे बलिहार
ले सोला सिंणगार मां
म्हे आवां थारे द्वार
चालो सहेल्यां आपां चुनड़ी बणावां
मैया ने चुनड़ी उढावां जी
मां ने बनड़ी बणावां..
चांदी की चौकी उपर. मैया ने बिठावां
माथे पर रोली को टीको लगावां
फूलां रो गज़रो पिरावां जी..
मां ने बनड़ी बणावा
चुनड़ी को पोत मैया जयपुरिया से ल्यावां
रंग बिरंगा तारां हीरां मोत्यां सूं सजावां
हाथां में मेहंदी लगावां जी
मां ने बनड़ी बणावां...
सुरेश राजस्थानी थारी ज्योत जगावे
ममता भगतां के सागे गुण थारा गावे
चरणां में थारे लुड़ जावां जी
मां ने बनड़ी बणावां...
चालो सहेल्यां आपां चुनड़ी बणावां
मैया ने चुनड़ी उढावां जी
मां ने बनड़ी बणावां
चालो सहेल्यां आपां चुनड़ी बणावां