किवें सज धज के माँ बैठी हो,
कही मेरी नज़र ना लगे मेरी मैया......
लाल गुलाब के फूलों से कितना तुम्हें सजाया है,
महक रहा दरबार तुम्हारा कितना इत्तर लगाया है,
तुम कितनी प्यारी प्यारी हो कहीं मेरी......
रोली का तिलक लगा करके मंद मंद मुस्कराती हो,
तारों की चुनरी ओढ़ के मैया भक्तों के घर जाती हो,
तुम कितनी प्यारी प्यारी हो कहीं मेरी......
आज तेरेदरबार में माँ गूंज रहा है जैकारा,
तू भी आयी भक्त भी आए बोलन तेरा जयकारा,
तुम कितनी प्यारी प्यारी हो कहीं मेरी......