माँ दुर्गा की आरती

ॐ जय जय जगदम्बा मैया जय जय जगदम्बा,
दीनन का दुख दारुण हरती अवलम्बा॥

करुणा निधि माता हो करुणा बरसाओ।
दृष्टि दया से अपने अमृत बरसाओ ॐ॥

दो कर जोड़ खड़े हैँ भक्त सभी द्वारे।
और कहाँ जावेंगे दुःखिया बेचारे ॐ॥

सुरु नर मुनि का संकट पल में तू टाला।
भस्म किया खल दल को बनकर प्रज्वला ॐ॥

सुरभित सुमन चढ़ाकर कुमकुम औ चन्दन।
अगर कपूर की आरति करते अभिनन्दन ॐ॥

दर्शन दो हे जननी भय दरीद्र हरो।
भावसागर से नैया सबकी पार करो ॐ॥

यह दुर्गा की आरति भाव सहित गावे।
कोविद श्याम कहे ओ सुख़सम्पति पावे ॐ ॥
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