माँ माँ माँ...
तुम बसी हो कण कण अंदर माँ,
तुम बसी हो कण कण अंदर माँ,
हम ढूँढ़ते रह गये मंदिर में,
तुम बसी हो कण कण अंदर माँ,
हम ढूँढ़ते रह गये मंदिर में,
हम मूढ़मति हम अनजाने,
हम मूढ़मति हम अनजाने,
माँ साथ तुम्हारा क्या जाने,
तुम बसी हो कण कण अंदर माँ,
हम ढूँढ़ते रह गये मंदिर में....
तेरी माया तो ना जान सके,
तुझको ना कभी पहचान सके,
हम मोह की निद्रा सोये रहे,
माँ इधर उधर ही खोये रहे,
तू सूरज तू ही चन्द्रमा,
तू सूरज तू ही चन्द्रमा,
हम ढूँढ़ते रह गये मंदिर में,
तुम बसी हो कण कण अंदर माँ,
हम ढूँढ़ते रह गये मंदिर में,
तुम बसी हो कण कण अंदर माँ,
हम ढूँढ़ते रह गये मंदिर में...
हर जगह तुम्हारे डेरे माँ,
कोई खेल ना जाने तेरे माँ,
इन नैनो को ना पता लगे,
किस रूप में तेरी ज्योत जगे,
तू पर्बत तू ही समंदर माँ,
तू पर्बत तू ही समंदर माँ,
हम ढूँढ़ते रह गये मंदिर में,
तुम बसी हो कण कण अंदर माँ,
हम ढूँढ़ते रह गये मंदिर में,
तुम बसी हो कण कण अंदर माँ,
हम ढूँढ़ते रह गये मंदिर में....
कोई कहता तुम ही भवन में हो,
और तुम ही ज्वाला अगन में हो,
कहते है अम्बर और ज़मीं,
तुम सब कुछ हो हम कुछ भी नही,
फल फूल तुम्ही हो तरवर माँ,
फल फूल तुम्ही हो तरवर माँ,
हम ढूँढ़ते रह गये मंदिर में,
तुम बसी हो कण कण अंदर माँ,
हम ढूँढ़ते रह गये मंदिर में,
तुम बसी हो कण कण अंदर माँ,
हम ढूँढ़ते रह गये मंदिर में,
हम ढूँढ़ते रह गये मंदिर में,
हम ढूँढ़ते रह गये मंदिर में,
हम ढूँढ़ते रह गये मंदिर में.....