रिद्धी सिद्धी दातार तुमसे गये देवता हार,
तेरी हो रही जय जयकार गौरी शंकर के प्यारे.....
देवो में हुई लड़ाई में बड़ा हूँ तुम छोटे हो,
ब्रह्मा के पास निर्णय को आये छोटे मोटे है,
सुनकर के ब्रह्मा ने मन ही मन कियो विचार.....
बोले ब्रह्मा सृष्ठिी की परिक्रमा प्रथम लगाओ,
आए जो सबसे पहले वो परम पुरुष कहलावो,
उठ करके दौड़े है, सब हो सवार असवार.....
बोले गणेश सृष्टि के साक्षात रूप पितु माता,
इनको तज कर क्यो भटके ये देव समझ नही आता,
उठ करके, पितु मां की, करी परिक्रमा भारी.....
सबसे पहले जा करके ब्रह्मा को शीश झुकाया,
चतुराई जान पितामह हस करके कंठ लगाया,
धन्य-धन्य जय-जय हो तेरे चरण कमल बलिहारी......