हार को अपनी भूल गया प्रभु,
जबसे तेरा साथ मिला,
मेरा दामन थाम लिया प्रभु,
मेरा दामन थाम लिया मुझे,
सिर पे तेरा हाथ मिला,
हार को अपनी.........
सूना पड़ा था जीवन मेरा तूने ही गुलज़ार किया,
तेरे दर से इतना मिला मुझे तूने इतना प्यार दिया,
तूने इतना प्यार दिया..,
तेरे सिवा मेरा कोई नहीं है,
तेरे सिवा मेरा कोई नहीं जो,
बिन मतलब के साथ चला,
हार को अपनी...........
जब जब मैंने याद किया तुझे जो माँगा वो पाया है,
मेरे दुःख को हल्का करके सिर पे हाथ फिराया है,
सिर पे हाथ फिराया है...,
इस नालायक दीन को दाता तुझ सा दीनानाथ मिला,
हार को अपनी..........
मेरे एक एक आंसू को प्रभु हीरे सा तूने मोल दिया,
मेरी औकात से बढ़ कर तूने प्यार में अपने तोल दिया,
प्यार में अपने तोल दिया..,
पंकज तुझसे क्यों ना मांगे रहमतों का सिलसिला,
हार को अपनी........