मुझसे नाराज़ तू हो ये सितम श्याम ना ढाना,
मेरी दुनियाँ है तू ही तो मेरा अनमोल ख़जाना।।
मेरी साँसों में रहता वो तू ही, होती धड़कन में जो धक धक तू ही,
मेरा हर रोम रोम खिलता है, तू मेरे साथ साथ चलता है,
मुझसे नाराज तू हो, ये सितम श्याम ना ढाना,
मेरी दुनियाँ है तू ही तो मेरा अनमोल ख़जाना।।
सर पे जिसके तू हाथ रखता है,
वो अभागा कहाँ पे रहता है,
तुझमें आके मगन वो वो झूमा करे,
तेरी चौखट को श्याम चूमा करे,
मुझसे नाराज तू हो, ये सितम श्याम ना ढाना,
मेरी दुनियाँ है तू ही तो मेरा अनमोल ख़जाना ।।
लहरी ये तेरी खुशनसीबी है,
तेरी बड़ी श्याम से क़रीबी है,
उसकी छाँवों में मौज करता तू,
फिर भला काहे यार डरता तू,
मुझसे नाराज तू हो ये सितम श्याम ना ढाना,
मेरी दुनियाँ है तू ही तो मेरा अनमोल ख़जाना ।।