वतन की मिट्टी बड़ी अनमोल,
मेरे वतन की मिट्टी बड़ी अनमोल,
जन्म लिया इस मिट्टी में मैंने,
इसकी महिमा के क्या कहने,
पला बढ़ा सब संग खेला,
इसकी धूल में रोलम रोल,
मिट्टी बड़ी अनमोल,
वतन की मिट्टी बड़ी अनमोल,
मेरे वतन की मिट्टी बड़ी अनमोल.....
मिट्टी में मैंने फसल उगाई,
जिसने सबकी भूख मिटाई,
अन्नपूर्णा ऐसी है माँ जैसी,
है राजीव माँ सा इसका मोल,
मिट्टी बड़ी अनमोल,
वतन की मिट्टी बड़ी अनमोल,
मेरे वतन की मिट्टी बड़ी अनमोल.....
मिट्टी का मैंने मंदिर बनाया,
मंदिर में भगवान बिठाया,
आई वहाँ संतों की टोली,
बोले जिसने राम नाम के बोल,
मिट्टी बड़ी अनमोल,
वतन की मिट्टी बड़ी अनमोल,
मेरे वतन की मिट्टी बड़ी अनमोल......
खूब गाई कवियों ने बड़ाई,
राह जिसकी में चला सिपाही,
कर दी न्यौछावर प्राणों की बाज़ी,
दिया रक्त चरणों में तोल,
मिट्टी बड़ी अनमोल,
वतन की मिट्टी बड़ी अनमोल,
मेरे वतन की मिट्टी बड़ी अनमोल......
©राजीव त्यागी नज़फगढ़ नई दिल्ली