सर पे हिमालय का छत्र है चरणों में नदियाँ एकत्र है

जय भारती ! वन्दे भारती !

सर पे हिमालय का छत्र है,
चरणों में नदियाँ एकत्र हैं,
हाथों में वेदों के पत्र हैं,
देश नहीं ऐसा अन्यत्र है |
जय भारती ! वन्दे भारती !
जय भारती ! वन्दे भारती !

धुंए से पावन ये व्योम है,
घर घर में होता जहाँ होम है,
पुलकित हमारे रोम रोम है,
आदि-अनादि शब्द ॐ है |
जय भारती! वन्दे भारती!
वन्दे मातरम ! वन्दे मातरम !

जिस भूमि पे जन्म लिया राम ने,
गीता सुनायी जहाँ श्याम ने ,
पावन बनाया चारो धाम ने,
स्वर्ग भी ना आये जिसके सामने |
जय भारती!वन्दे भारती!
वन्दे मातरम ! वन्दे मातरम !

स्वर - लता मंगेशकर
फिल्म - जगदगुरु संकराचार्य (1955)
गीतकार - भारत व्यास
संगीत संयोजन - अविनाश व्यास
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