क्या था जो घड़ी भर जो,
तुम लौट के आ जाते,
दीवाने मोहब्बत को,
इस पगली दीवानी को,
सूरत दिखा जाते,
क्या था जो घड़ी भर जो,
तुम लौट के आ जाते........
पर्दा हटा दो जरा मुख से,
रुख महफ़िल का इक दम बदल जायेगा,
जो बेहोश है होश में आएंगे,
गिरने वाला भी फिर से संभल जायेगा,
तुम मेरे पास बैठो तस्सली ना दो,
वक़्त तेरा भी अच्छा गुजर जायेगा,
ये क्या कम है मसीहा तेरे आने से,
मौत का इरादा भी बदल जायेगा,
एक बार मेरे आंसू,
दामन से सूखा जाते,
क्या था जो घड़ी भर जो,
तुम लौट के आ जाते........
तसुवर में चले आते,
तुम्हारा क्या बिगड़ जाता,
तेरा पर्दा बना रहता,
हमे दीदार हो जाता,
दिन नू चैन ना रात नू निन्दन,
पैंदा नित अखियां नू रोना,
ए साडी लोकि याद करेंगे,
जदो असा ना जग विच होना,
अच्छा होता अगर मुझको,
दीवाना बना जाते,
क्या था जो घड़ी भर जो,
तुम लौट के आ जाते........