सत्य नाम का सुमिरन कर ले

सत्य नाम का सुमिरन कर ले कल जाने क्या होय
जाग जाग नर निज आश्रम में काहे बिरथा सोय
सत्य नाम का सुमिरन कर ले रे...

जेहि कारन तू जग में आया,
वो नहिं तूने कर्म कमाया,
मन मैला का मैला तेरा,
काया मल मल धोये,
जाग जाग नर निज आश्रम में काहे बिरथा सोय

दो दिन का है रैन बसेरा,
कौन  है मेरा कौन  है तेरा,
हुवा सवेरा चले मुसाफिर,
अब क्या नयन भिगोय
जाग जाग नर निज आश्रम में काहे बिरथा सोय

गुरू का शबद जगा ले मनमें
चौरासी से छूटे क्षन में
ये तन बार बार नहिं पावे
शुभ अवसर क्यों खोय
जाग जाग नर निज आश्रम में काहे बिरथा सोय

ये दुनिया है एक तमाशा
कर नहिं बंदे इसकी आशा
कहै कबीर, सुनो भाई साधो
सांई भजे सुख होय
जाग जाग नर निज आश्रम में काहे बिरथा सोय
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