जागो हिन्द के शेरो

जागो हिन्द के शेरो अब जागो हिन्द के शेरो,
जागो हिन्द के शेरो तुम्हे जगाने आया हूं,
मैं भारत की माटी का इतिहास बताने आया हूं,
जागो हिन्द के शेरो.....

राजा भरत की भूमि है ऋषि मुनियों की ये धरा रे,
रक्षक जिसका अटल हिमालय सागर चरण पखारे,
देवो की इस धरती का गुणगान सुनाने आया हूं,
मैं भारत की माटी का इतिहास बताने आया हूं,
जागो हिन्द के शेरो.....

याद करो तुम वीर शिवा को मुगलो को ललकारा था,
राणा की कुर्बानी तो देखो सब कुछ देश पे वारा था,
ऐसे भारत के वीरों का बलिदान बताने आया हूं,
मैं भारत की माटी का इतिहास बताने आया हूं,
जागो हिन्द के शेरो.....

इसी देश की बेटी ने मुगलों को था ललकार दिया,
दोनों हाथों में ले तलवारें एक एक को मार दिया,
उस भारत की बेटी का यशगान सुनाने आया हूं,
मैं भारत की माटी का इतिहास बताने आया हूं,
जागो हिन्द के शेरो.....

फांसी के फंदे चूमने वाले खुद को गोली मारने वाले,
भगत आजाद से वीर सिपाही इस मिट्टी के थे रखवाले,
बिस्मिल की कविता का मैं भाव बताने आया हूं,
मैं भारत की माटी का इतिहास बताने आया हूं,
जागो हिन्द के शेरो.....

दीवारों में चुने गए लेकिन हार नही मानी,
वीर हकीकत भी बोले माँ मौत तो एकदिन है आनी,
धर्म पे मिटने वालों का यशगान सुनाने आया हूं,
मैं भारत की माटी का इतिहास बताने आया हूं,
जागो हिन्द के शेरो.....

तिलक करो तुम इस मिट्टी का आंखों में भरलो ज्वाला,
गर्म खून पहचान तुम्हारी लो हाथों में भाला,
सोए हुए सिंघो का स्वाभिमान जगाने आया हूं,
मैं भारत की माटी का इतिहास बताने आया हूं,
जागो हिन्द के शेरो.....

रचियता: डॉ गौतम हिंदुस्तानी
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