कुछ भी बन बस कायर मत बन

कुछ भी बन , बस कायर मत बन !
ठोकर मार,पटक मत माथा..
तेरी राह रोकते पाहन !
कुछ भी बन , बस कायर मत बन !

ले- देकर जीना क्या जीना ?
कब तक गम के आंसू पीना ?
मानवता ने सींचा तुझको ...
बहा युगों तक खून पसीना !
कुछ न करेगा ? किया करेगा ..
रे मनुष्य -- बस कातर क्रंदन ?
कुछ भी बन , बस कायर मत बन !

"युद्ध देहि " कहे जब पामर ..
दे न दुहाई पीठ फेर कर  !
या तो जीत प्रीति के बल पर..
या तेरा पथ चूमे तस्कर !
'प्रतिहिन्सा भी दुर्बलता' है ..
पर कायरता अधिक अपावन !
कुछ भी बन , बस कायर मत बन !

तेरी रक्षा का न मोल है ..
पर तेरा मानव अमोल है !
यह मिटता है,वह बनता है ..
यही सत्य की सही तोल है !

अर्पण कर सर्वस्व मनुज को..
कर न दुष्ट को आत्म समर्पण !
कुछ भी बन , बस कायर मत बन !

गायिका : माधुरी मिश्रा
संगीत : माधुरी मिश्रा
गीतकार : पंडित नरेंद्र शर्मा
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