मेरे कान्हा के ऊंचे नीचे महल, महल जीजी काहे के,
महलन में लग रहो कांच, महल जीजी सोने के.....
वाके मोटे मोटे नयन नयन कजरारे से,
वाके घूंघर वाले बाल मुकट जीजी सोने के.....
वाह के गोरे गोरे हाथ हाथ सजे मुरली से,
अधरन पर छेड़े तान तान बड़ी मीठी सी.....
वाके छोटे छोटे पांव पायलिया बजनी सी,
संग नाचे गुर्जर की छोरी राधिका छोटी सी.....
मोहे दासी बना ले ओ श्याम कन्हैया अपने चरनन की,
मैं तो राधे राधे गांव बिरज की गलियन में......