जहाँ सतगुरु आते हैं वहाँ खुशियाँ आती हैं
ले ले के चरण धूली गुरुमुख मुस्काते हैं
सतगुरु के आने से शुभ मंगल होता है
गंगा कि तरह पावन मन निर्मल होता है
वे अपने भगतों को सब कुछ दे जाते हैं
जहाँ.......
तन मन धन के सारे दुःख दूर करें दाता
विनय अपने भगतों की मन्ज़ूर करे दाता
जब प्रेमी बुलातें हैं प्रभु दौड़े आते हैं
जहाँ.......
हो जसवी तेज सरो तेरा मन को भाता है,
यहाँ चरण पड़े प्रभु के वो ही स्वर्ग को जाता है,
शरनामत को सारे प्राणी तर जाते है,
ले ले के चरण धूली गुरुमुख मुस्काते हैं
जहाँ......