ओ नंदी लेजा मेरा सन्देश,
सुणईयों डमरू वाले को......
कई जन्मो से माला जप रही,
चंदन रज माथे पे लग रही,
अरे मेरा,, अरे मेरा जोगन वाला वेश,
सुणईयों डमरू वाले को,
ओ नंदी लेजा मेरा सन्देश,
सुणईयों डमरू वाले को......
मैं तो विरह में मरी पड़ी हु,
कौन सुने दुःख भरी पड़ी हु,
अरे वो,, अरे वो जगतपति जगदीश,
सुणईयों डमरू वाले को,
ओ नंदी लेजा मेरा सन्देश,
सुणईयों डमरू वाले को......
पहाड़ो ऊपर तेरा ठिकाना,
प्राणनाथ शिव शम्भु माना,
अरे मेरे,, अरे मेरे लगी कलेजे में ठेस,
सुणईयों डमरू वाले को,
ओ नंदी लेजा मेरा सन्देश,
सुणईयों डमरू वाले को......