कोख मै ना मारे आवन दे संसार मै

कोख मै ना मारे, आवन दे संसार मै
   मात मेरी सुनले, अर्ज करू दरबार मै

बासी सुखी रोटी खा के, कर ल्यू गी गुजारा माँ
  जिसा देवेगी उसा पहर ल्यू, टोकुगी दोबारा ना
मन्ने आवण दे इस जग मै, मत ना जुलम करे मेरे तन मै
 हाथ जोड़ के कहरी मै, मात मेरी,,,,,,,,,

लाड़ करुँगी भाई के, कदे भी दुख त ना राखु
   पोची बाँध के भाई क,  उम्र तेरी की दुआ मांगू
स या भाई ने बाहण प्यारी, मत ना करे तू इस त न्यारी
    इतना तू कहन पूगा दे न, मात मेरी,,,,,,,

6 महीने की होंगी पूरी, ईब क्यों मन मै आई से
   बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, कड़े तक या सचाई से
मेरे कुछ ना समझ मै आरी, करदी अपनी कोख ते न्यारी
     कपिल ने तू समझा दे न, मात मेरी सुनले

लेखक : कपिल सैनी

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