सबके लिए खुला हैं, मन्दिर यह हमारा,
मतभेद को भुला हैं, मन्दिर यह हमार,
आओ कोई भी पंथी, आओ कोई भी धर्मी,
देशी-विदेशीयों को, मन्दिर यह हमारा,
मैदान पट बिछाया, डाला है एक आसन,
सब देवता समाता, मन्दिर यह हमारा,
संतो की ऊंची वाणी, पढ़ते हैं मंत्र जिसमें,
सबका आवाज लेता, मन्दिर यह हमारा,
मानव का धर्म क्या हैं, मिलती हैं राह जिसमें,
चाहता भला सभी का, मन्दिर यह हमारा,
आओ सभी मिलेंगे, समुदाय प्रार्थना में,
तुकड्या कहे अमर हैं, मन्दिर यह हमारा,